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kalpana gaikwad

Abstract

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kalpana gaikwad

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कल्पना की उड़ान

कल्पना की उड़ान

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(दो शब्द


बस नजदीक ही उड़ रहे थे कि,खुदा को हम पा लेते,

हौसला देखकर हमारा,दोनों हाथ बढ़ा दिए उसने!!


साँसे उखड़ने लगी,सोचा थोड़ी देर और जी लेते,

लड़खड़ाकर गिरे ही थे कि,सीने से लगा लिया उसने!!)


महताब ,सितारे,और आफताब से वास्ता हम रखते हैं,

बंदे हैं खुदा के, हम जिगर में हौसला रखते हैं!!


खुदा की ज़मी ही नहीं आसमाँ का सफर भी करते हैं,

परिंदे छोटे ही सही,लंबी उड़ानों का दम रखते हैं!!


हमने की थी आसमान को धरती बनाने की कल्पना,

नांदा हैं वो लोग, जो हमारी कामयाबियों से जलते हैं!!


नीले आसमाँ को छूना,और बादलों में खो जाने की ख्वाहिशें,

ख्वाब ही सही,ये तो मेरे मुल्क के बच्चे बच्चे की आँखों में पलते हैं!!


सिलसिला हैं नई खोजों का, हम एक दिन लौटेंगे जरूर,

वैज्ञानिक दोस्त हैं तुम्हारे,क्यों आंसू बन आँखों से बरसते हैं!!

जानती थी मैं ,कोलंबिया शटल का अटल सत्य

शहादत कहो इसे मेरी,यूँ तो लोग सड़कों पर रोज मरते हैं!!


देखकर खुश हैं हम ,यही होगी सच्ची श्रद्धांजलि,

कि अब तो बच्चे भी स्कूलों में इतिहास हमारा पढ़ते हैं !!


हम सात थे ,साथ रहेंगे हम खोजेंगे जीवन के नये रहस्य

अफ़सोस होगा कोई और ना खोज ले,बस इस बात से डरते हैं!!


कलाम की कल्पना थी वो या कहें करिश्मा कुदरत का,

झुकाकर सर अपना,अब तो कलाम भी तुम्हें सलाम करते हैं !!













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