कलम का कमाल
कलम का कमाल
लिखता में आ रहा,
गीत मिलन के में।
कलम मेरी रुकती नहीं,
लिखने को नए गीत।
क्या क्या में लिख चुका,
मुझको ही नहीं पता।
और कब तक लिखना है,
ये भी नहीं पता।
लिखता में आ रहा।
कभी लिखा श्रृंगार पर
कभी लिखा इतिहास पर।
और कभी लिख दिया,
आधुनिक समाज पर।
फिर भी आया नहीं,
सुधार लोगों की सोच में
लिखता में आ रहा।
लिखते लिखते थक गये,
सोच बदलने वाली बाते।
फिर नहीं बदले लोगो के विचार
इसे ज्यादा क्या कर सकता,
एक रचनाकार।
लिखता हूँ सही बात,
अपने गीतों में
अपने गीतों में।