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Nitu Mathur

Romance

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Nitu Mathur

Romance

कलाम लिख डालूं

कलाम लिख डालूं

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इश्क में कर डाले फतेह किले कई

हँसीन हुकूमतों पर फहराए परचम 

एक तेरा दिल न जीत सके कमबख्त

ना मिली वो इजाज़त ना रहमोकरम,


एक खालिश है अब भी गहराई में 

है ख़्वाब आधा अधूरा , ख़ाली सा

के ख्वाहिश है गुलाबी आंचल से 

हो जाए दीदार तेरे सुर्ख चेहरे का,


सारी शानोशौकत कर दूं बस तेरे हवाले

सर का ताज तेरे कदमों में सौंप डालूं

बन जाऊं पीर बदल लूं दुनियां अपनी

हर आयत मैं शुक्र खुदा का करूं 

मैं तुझ पर पूरा कलाम लिख डालूं ।


        


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