किस्से ज़िन्दगी भर के
किस्से ज़िन्दगी भर के
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कहानियों की बारिश है मेरी किताब में
पन्ने बहुत शोर करते हैं आजकल
काली स्याही से रंग भरा था इनमें
जब भटका था मैं दरबदर।
कितनी मुस्कानों से मुलाकात हुई
मौन से उदास चेहरे भी लिखे
कदम बढ़ते गए बस बेधड़क
कुछ हाथ थामे और कुछ बिछड़ गए।
अब बैठा हूं इन कागजों को बटोरे
कई दिलों की आवाजों के सिरहाने
अब बाकी के लम्हें गुज़रेंगे ज़िन्दगी के
फिर से इनके किस्सों को सुनते हुए।