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Shirish Pathak

Romance

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Shirish Pathak

Romance

किसी घाट पर

किसी घाट पर

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किसी घाट पर

तुमसे अचानक टकरा जाना

मेरे अन्दर संचार कर देता है

उस ख़ुशी का जो गायब है कई दिनों से


बरस जाना चाहता है वो काला बादल

जो कई घंटो से हमारा पीछा कर रहा होता है

तुम चाहती हो बैठना खुले आसमान के नीचे

लेकिन न जाने क्यों तुम चल पड़ती हो


ख़ामोशी चाहता हूँ मैं

लेकिन तुम न कहते हुए भी बहुत कुछ कहती हो

तोड़ देती है उन बांधों को

जिनके पीछे उम्मीद भरी बातें सहेजे रखता हूँ मैं


मेरे लिए तुम उस किताब के पन्नों की तरह हो

जिनको पढना नहीं चाहता मैं

बस उनको मुड़े हुए देखना अच्छा लगता है

जो उस किताब को थोडा और खुबसूरत बनाती है



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