किस बात की आज़ादी ?
किस बात की आज़ादी ?
आज़ादी किस बात की आज़ादी ?
आवाम आज़ाद हुआ पुरानी बात हुई,
क्यों दिलों के जंगलों में बसेरा बना कर
फिर भी आग लगा कर ,हाथ सेका गया,
आज़ादी पर तिरंगा लहराने से ही आज़ाद
कहां हुआ ?
भ्रष्टाचार से मुक्ति का आंदोलन कर फिर
भी सर्वनाश हुआ।
जुआ खेल का प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे
लोगों की भीड़ में लाशों का कारोबार हुआ।
मशाले जलाकर भस्म करते रिवायतों को
अरमानों का तिरस्कार हुआ।
आज़ादी अभी औरत को दबाने में ही मर्दानगी
समझी जाती है।
ये कारोबार तो पुराणों में भी शामिल है,
कभी द्रोपदी को जुए में दांव लगाया गया।
कभी सीता को अग्नि परीक्षा के लिए दबाया गया
उसके जिस्मों क कारोबार की पहचान,अपने सपनों
को उड़ान भरने में ही सजाया गया।
छोटी बच्चियों के बचपन को
हवस किया भट्टी में झोंक दिया गया।
आज़ाद अभी सोच को सकारात्मक होना बाक़ी है
आज़ाद अभी औरत को होना बाक़ी है।