किन्नर भी इंसान है
किन्नर भी इंसान है
इस जहां में वो तीसरा रंग है ,
वो भी, खुदा का ही एक अंग है।
न जाने क्यों उसको मानते सब गैर है,
ऐसी भी क्या खता हुई है उस से? क्यों उस से इतना बैर है?
सब की तरह वो भी तो एक इंसान है,
उसके लिए भी वही अल्लाह, येसू, गुरु और भगवान है।
आम दिनों में निगाहों में रहता उसके लिए डर, शर्म और शक है,
पर उसे भी अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक है।
होली, दीवाली, ईद, इत्यादि, उसके भी वही सारे त्योहार है
ऐसे भी कहां अलग है वो कि उनके लिए दिल में नफरत की गुहार है?
गौर करों, जब बजती घर में शादी की शहनाई है
तो कुशल-मंगल से भरपूर दुआओं का दामन कौन लाता है?
जब गुंजती है घर में बच्चे की किलकारियां,
तो दिल से आशीर्वाद देने कौन चला आता है?
पर फिर भी उसके लिए दिलों में रुसवाई है,
उसके अपनों ने पराया किया, उसके दुनिया में देखो कितनी तन्हाई है।
स्त्री-पुरुष के सांचे से परे है, पर खुदा का ही निशान है,
मुंह फेरने के बजाय, अपना लो उसे और सम्मान दो,
यही जिंदगी की सही दिशा है।
इस सुंदर से रंगीन जहां का वो तीसरा रंग है,
सच मानो, वो भी खुदा का ही एक अंग है।।