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आम दिनों में निगाहों में रहता उसके लिए डर, शर्म और शक है, आम दिनों में निगाहों में रहता उसके लिए डर, शर्म और शक है,
मगर कामयाबी के सारे मकाम तुम से हाथ ज़रूर मिलाएंगे। मगर कामयाबी के सारे मकाम तुम से हाथ ज़रूर मिलाएंगे।
अगर हर किसी को सवाब की सौगात होती। सबके मन में एकता की अजमत होती, अगर हर किसी को सवाब की सौगात होती। सबके मन में एकता की अजमत होती,
सुकून की तलाश में, फिरती रही मैं सुकून की तलाश में, फिरती रही मैं