Praveen Gola
Abstract
आई माँ
दो शब्द
टूटे सपने बिख...
दिल की जेल
हर तरह
वो एहसास अपने...
अधूरे ही अच्छ...
जल ना मेरे सा...
बड़ी तकलीफ दे ...
बताता हूँ
क्योंकि मैं मुलाकात इन्सान से करना पसंद करती हूँ ओहदे से नहीं। क्योंकि मैं मुलाकात इन्सान से करना पसंद करती हूँ ओहदे से नहीं।
सुन्दर दिखता अम्बर भी है जो ठंडी का कोप सहा।। सुन्दर दिखता अम्बर भी है जो ठंडी का कोप सहा।।
उदासी की बहती हुयी हवा में आंखें झेलती हैं उदासी का दंश। उदासी की बहती हुयी हवा में आंखें झेलती हैं उदासी का दंश।
मंजिल को पाने के लिए सफर में कितनी रुकावटें मिली हमें, मंजिल को पाने के लिए सफर में कितनी रुकावटें मिली हमें,
ज़रा ध्यान रखना अपनी प्रिय मिथ्या का कहीं उसे भगा ना ले जाऊँ। ज़रा ध्यान रखना अपनी प्रिय मिथ्या का कहीं उसे भगा ना ले जाऊँ।
तुम्हारे गालों पर अपने लबों से गिरते शहद की बारिश करने जा रही हूँ आँखें मूँदे महसूस क तुम्हारे गालों पर अपने लबों से गिरते शहद की बारिश करने जा रही हूँ आँखें मूँद...
ज़िम्मेदारियों को उठाने वो घर से निकलते हैं ! इस अग्नि के फेरे में पुरुष भी तो जलते हैं ज़िम्मेदारियों को उठाने वो घर से निकलते हैं ! इस अग्नि के फेरे में पुरुष भी तो...
जिसमें उसकी जो मर्जी हो वह खुशी की एक रोशनी है। जिसमें उसकी जो मर्जी हो वह खुशी की एक रोशनी है।
आइए कहानी की कहानी जानते हैं कहानी की व्यथा भी सुनते हैं। आइए कहानी की कहानी जानते हैं कहानी की व्यथा भी सुनते हैं।
आत्मविश्वास से परिपूर्ण स्त्री अपने रास्ते बना सकती है खुद ही, आत्मविश्वास से परिपूर्ण स्त्री अपने रास्ते बना सकती है खुद ही,
शोक संदेशे सुन सुन कर उर का सारा वो गीत गया। शोक संदेशे सुन सुन कर उर का सारा वो गीत गया।
स्वच्छ रहें सब नदियां नाले कहीं तनिक न प्रदूषण हो, स्वच्छ रहें सब नदियां नाले कहीं तनिक न प्रदूषण हो,
मोर पंख माथे पर तुम्हारे और मेहनत का कंगन मैं अपने हाथों पर सजाऊँ। मोर पंख माथे पर तुम्हारे और मेहनत का कंगन मैं अपने हाथों पर सजाऊँ।
सब कुछ अस्त व्यस्त और व्यवस्थित रूप से जर्जर हो चला है सब कुछ अस्त व्यस्त और व्यवस्थित रूप से जर्जर हो चला है
शक्तिशाली सेना अति ही तत्पर भयभीत शत्रु देश, शक्तिशाली सेना अति ही तत्पर भयभीत शत्रु देश,
शुद्ध मति के प्रेम से ही जगत का कल्याण होगा, शुद्ध मति के प्रेम से ही जगत का कल्याण होगा,
माँ के हाथों ने परोसा हुआ सरसों का साग और मक्के की रोटी माँ के हाथों ने परोसा हुआ सरसों का साग और मक्के की रोटी
नही हुआ है,प्रकृति,ऋतु में कोई भी परिवर्तन फिर भी सबको मुबारक अंग्रेजी नववर्ष तन. नही हुआ है,प्रकृति,ऋतु में कोई भी परिवर्तन फिर भी सबको मुबारक अंग्रेजी नववर्ष...
हजारों इमारतों का निर्माता, दर-दर भटकने को मजबूर हूँ, हजारों इमारतों का निर्माता, दर-दर भटकने को मजबूर हूँ,
हे मां अब तो आ जाओ अनाथ होने से हमें बचाओ। हे मां अब तो आ जाओ अनाथ होने से हमें बचाओ।