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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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"फिर भी मुबारक नववर्ष 2022"

"फिर भी मुबारक नववर्ष 2022"

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नही हुआ है,प्रकृति,ऋतु में कोई भी परिवर्तन

फिर भी सबको मुबारक अंग्रेजी नववर्ष तन

पाश्चात्य संस्कृति ने किया है,कुछ ऐसा जतन

भूल गये है,हम बस अपने हिंदी नववर्ष बदन


अब बीत चुका है,सुहानी यादों का वो बचपन

जब अपने नववर्ष पर करते थे,गुड़-नीम मंजन

फिर भी सबको मुबारक हो अंग्रेजी नववर्ष तन

कम से कम खुशी मनाने का कैसे भी आया क्षण


पूरा खत्म हो कोरोना,मिलकर दुआ करे सब जन

नववर्ष कोई भी हो,सर्वप्रथम बड़ो का करे वंदन

संकल्प ले,इस नववर्ष कुछ अलग करेंगे, नूतन

जिससे अपना समाज और ख़ूब उन्नति करे वतन


भीतर छिपी बुराइयों का कर दे,हम सब दहन

छोड़ दे हम सब लोग,झूठ,ईर्ष्या-द्वेष और जलन

फिर भी मुबारक हो सबको अंग्रेजी नववर्ष तन

इस अंग्रेजी नववर्ष बुराई त्यागने का दे,वचन


खुद की खुदी में हम सब हो जाये इतने मगन

बना दे,ऊसर भूमि को भी महकता हुआ चमन

अच्छा बोले,अच्छा देखे और अच्छा करे श्रवण

इस नववर्ष कठोर मेहनत-लगन से पूर्ण करे स्वप्न


फिर भी मुबारक हो सबको अंग्रेजी नववर्ष तन

जैसे भी हो हम न भूले हिंदी,हिन्द है,हमारा ,वतन

त्याग दे,बदी की बदबू और बने हम सब चंदन

लक्ष्य पाने के लिये इस नववर्ष सहे,हर चुभन


सबको मुबारक हो अंग्रेजी नववर्ष 2022 नूतन

हिंद हिम गिरी जैसा ऊंचा हो,और हर जन हो प्रश्न

सबके गम उगते सूर्य से होते रहे नित ही दमन

सबको साखी का तहेदिल से नववर्ष नव वंदन।




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