ख्याल
ख्याल


मेरी आंखों में तैरती तेरी झलकियां
जैसे खिले फूलों पर मंडराती तितलियां
रस चुराकर मेरे जीवन का
न जाने कहां ले जाती हैं
मैं बरसात आवारा
पीछे पीछे तेरे बादलों के
तू थाम कर दामन हवा का
न जाने कहां चली जाती है
भोर की पहली किरण से
शाम की आखिरी किरण तक
तेरी गर्मी मैं अपनी
सांस में जिंदा रखता हूं
रात की नमी हो
चाहे तारों की कमी हो
चांद न छोड़ता आंचल चांदनी का
तो तू क्यों तन्हा मुझे हर बार छोड़ जाती है
तेरे ख्यालों से गुलजार
मैं अपनी तन्हाई कर लेता हूं
कुछ इस तरह मैं अक्सर
महफिलों से रुसवाई कर लेता हूं