ख्वाहिशों का क्षितिज
ख्वाहिशों का क्षितिज
जिंदगी में ख्वाहिशों का कोई अंत नहीं।
एक पूरी करते दूसरी जन्म लेती वहीं।
पशोपेश में हूं कि चुनूँ वह कि यही।
होड़ में तो लगती सभी दूसरे पर चढ़ी।
दिल की सुनो तो रास्ता पुराना वही।
दिमाग की हर इक बार एक राह नयी।
हृदय गहराई में उतरकर चुन लाता कोई।
मन आकाश के तारे चुन-चुन लाता कई।
अब तू ही बता क्या कोई रास्ता है ऐसा भी।
जो क्षितिज को छूकर आ सकता कभी।
