ख्वाहिश
ख्वाहिश
हजारों ख्वाहिशें अधूरी हैं
हर ख्वाहिश का आधार थे तुम
जिसे पाने के लिए सब खो दिया
ऐसा मेरा प्यार थे तुम ।
बदलते जमाने ने तुम्हें बदल दिया
मैं वही संस्कारों ,मर्यादाओं में अड़ी
मुझे प्यार करने वाले मिले हजार
मगर तुमने प्यार खो दिया।
बेबुनियादी ख्वाहिशों के पीछे
अपना वजूद खो दिया
अंधेरे में रहे तुम
नशे ने तुम्हें डुबो दिया।