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Ravi Purohit

Abstract

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Ravi Purohit

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ख्वाबों में फूले कमल-दल

ख्वाबों में फूले कमल-दल

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बड़ा गुमान है ना तुझे

कि कुछ भी कर सकते हो

तो छीनों देखें

अपनी मखमली यादें

मुझसे,

प्रत्याहरण करो देखें

अपनी खुशबू का


जो सांस-सांस बसी है मुझ में,

करो दफन देखें

मेरे जज्बातों और अहसासों को,

समेटो देखें वह समय


जो हर वक्त 

जीती है मेरी आँखें

तुझ संग,

विलोपो देखें हाथों की छुअन

जो पौर-पौर पसरी है


मेरी देही के,

है हौसला तो दिखाओ

अनजान बन कर

जैसे मुझे पहचानते नहीं ।


अरे बुद्धू

कैसे समझाऊँ 

बीती रात 

कमल-दल फूले 

ख्वाबों में मेरे


तुम्हारी उपेक्षा भी

विगत नेह का 

स्मृद्ध फलक बयां करती है।


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