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Aarti Sirsat

Romance Crime Inspirational

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Aarti Sirsat

Romance Crime Inspirational

ख्वाबों का शहर

ख्वाबों का शहर

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ढल रहा है आफताब,आ

ओं क्षितिज के पार चलें।

ख्वाब सजा रही है निशा,

संग मेरे चाँद तारें चलें।


जब खूली दिल की

अलमारी धूल खा रहें

तुम्हारी खूशबू में भीगें

कुछ खत मिलें।


कैसे जलाऊं तुम्हारी यादों को

साँस से तेरी मेरी ये साँस चलें।

है बडा ही खूबसूरत सफर

इस इश्क़ का, की ऐसी

मंजिल भी किसी को ना मिलें।


दिल है कह रहा, सारा जीवन

अपना इसी सफर में जी लें।

काँच के ख्वाब देख लिए,

आँखों के पन्ने भी अब हमनें है सिले।


ना रही कोई शिकायत

अब तुमसे, ना ही कोई शिकवे गीले।

चलों फिर से उसी

ख्वाबों के शहर में मिलें।


जहाँ तेरी, मेरी चाहत के

फूल थें खिलें।


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