ख्वाब
ख्वाब
ख्वाब मेरे सारे टूट के बिखर गए
सपने मेरे सारे अंदर ही सिमट गई
चेहरे की मुस्कान गायब हो गई
दिल का चैन खो गया कही
तुम्हें कभी देखने पर सुकून मिलता
अब तुम्हें देखने का मन नहीं
खाना नहीं खाने पर डाटती थी मुझे
अब खाना पुरानी बातों को याद कर देता है
तुम्हारी बाते सुने बिना नींद नहीं आती थी मुझे
अब नींद भी बाते करती है मुझसे।

