STORYMIRROR

KUNAL VERMA

Romance

3  

KUNAL VERMA

Romance

ख्वाब

ख्वाब

1 min
146

ख्वाब मेरे सारे टूट के बिखर गए 

सपने मेरे सारे अंदर ही सिमट गई 


चेहरे की मुस्कान गायब हो गई 

दिल का चैन खो गया कही


तुम्हें कभी देखने पर सुकून मिलता 

अब तुम्हें देखने का मन नहीं 


खाना नहीं खाने पर डाटती थी मुझे 

अब खाना पुरानी बातों को याद कर देता है 


तुम्हारी बाते सुने बिना नींद नहीं आती थी मुझे 

अब नींद भी बाते करती है मुझसे


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance