" खूब मीठी छबील "
" खूब मीठी छबील "
रहना दिन में निर्जला, बरतो ना तुम ढील
एकादशी पर लगी है, खूब मीठी छबील
खूब मीठी छबील, ठंडा शरबत पियाते
मज गरमी के बीच, सभी की प्यास बुझाते
भीम की यह ग्यारस, सिखावे जप तप करना
करों खूब उपकार, बिना जल पीये रहना।
