" खूब करो तुम भोर "
" खूब करो तुम भोर "
मेह बरसे रम रम के, बिजली कड़के घोर
रात अंधेरी भी बनें, खूब करो तुम भोर
खूब करो तुम भोर, राह आसान बनाओ
लेकर छतरी हाथ, शैल को पार कराओ
खास चलाओ तीर, गगन में रवि भी हरषे
लगे खूब घनघोर, झमाझम बदरा बरसे।
