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Geeta Upadhyay

Abstract

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Geeta Upadhyay

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खूब धूम मचाएंगे

खूब धूम मचाएंगे

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टआज दिल किया 

वही काम वही दिनचर्या

इसमें थोड़ा सा ब्रेक लगाऊं

खुद को छुट्टी दूं 

और हॉलीडे मनाऊं

पूरा दिन मस्ती करू नांचू गाऊं

साड़ी लहंगा हर परिधान पहनु


 आईने में देखकर छवि अपनी इतराऊं

 श्रंगार करके खुद को खूब सजाऊं

 मुस्कुराऊं जोर-जोर से ठहाके लगाऊं

 बारिश की बौछारों में भीग जाऊं

 दिमाग ने कहा- बहुत खूब अब उठो

 अंदर बाहर सब घर बिखरा पड़ा है उसे समेटो

सफाई करनी हैफटाफट कारपेट लपेटो 

बच्चे क्या कर रहे हैं उन्हें देखो 


मच्छर हो गए हैं कूलर में पड़ा गंदा पानी फेकों अरे -भूख लगी होगी सबको चलो

 जल्दी से गरम-गरम रोटियां सेको 

दिमाग की सुनो

 दिल तो जाने क्या-क्या करता है 

जमीन पर तो कभी आसमां में उड़ता है अगर छुट्टी ले ली तो कैसे चलेगा

 घर तो तुमने ही चलाना है


 सोचा चलो छोड़ो आज हॉलीडे नहीं मनाएंगे फिर कभी सजएंगे सवरेगें और 

खूब धूम मचाएंगे।


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