खुशियों की दुकान
खुशियों की दुकान
खुद ही रोना है
और खुद को ही चुप कराना होगा
गर सोचते हो तुम कि आयेगा कोई अपना
तो तुम्हे इस वहम को दूर भगाना होगा
तुम यहां मर भी जाओगे
तो भी यहां कोई नही आयेगा
तुम्हे खुद के लिए खुद ही खड़े होना होगा
तभी तुम्हे ही हर गम से लड़ना भी होगा
पांव फिसला और गिरे जो तुम गड्ढे में
तो मत समझना कि कोई प्यार से तुम्हे उठाएगा
समझकर तुम्हे मरा हुआ
कब्र पर मिट्टी डालकर जाएगा
और तुम्हे जिंदा ही दफनाएगा
यही है आजकल की इंसानियत
ना यहां दोस्ती और ना ही यहां प्यार
यहां बस हैं रिश्तों की झूठी सजावट
लगी है यहां सपनों की दुकान
हर चेहरे पर झूठा नकाब है
बाहर से सब दिखाते हैं
हम हमदर्द हैं तुम्हारे
गर बढ़ाओगे हाथ कभी मुश्किल में अपनी
तो फिर टूटा जरूर तुम्हारा गुमान है
यही झूठे सपनों की दुकान है।