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Komal Bhaleshwer

Tragedy Inspirational

4.5  

Komal Bhaleshwer

Tragedy Inspirational

खुशियों की दुकान

खुशियों की दुकान

1 min
424


खुद ही रोना है

और खुद को ही चुप कराना होगा

गर सोचते हो तुम कि आयेगा कोई अपना

तो तुम्हे इस वहम को दूर भगाना होगा

तुम यहां मर भी जाओगे

तो भी यहां कोई नही आयेगा

तुम्हे खुद के लिए खुद ही खड़े होना होगा

तभी तुम्हे ही हर गम से लड़ना भी होगा

पांव फिसला और गिरे जो तुम गड्ढे में

तो मत समझना कि कोई प्यार से तुम्हे उठाएगा

समझकर तुम्हे मरा हुआ

कब्र पर मिट्टी डालकर जाएगा

और तुम्हे जिंदा ही दफनाएगा

यही है आजकल की इंसानियत

ना यहां दोस्ती और ना ही यहां प्यार

यहां बस हैं रिश्तों की झूठी सजावट

लगी है यहां सपनों की दुकान

हर चेहरे पर झूठा नकाब है

बाहर से सब दिखाते हैं

हम हमदर्द हैं तुम्हारे

गर बढ़ाओगे हाथ कभी मुश्किल में अपनी

तो फिर टूटा जरूर तुम्हारा गुमान है

यही झूठे सपनों की दुकान है।



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