खुशियों का उजाला
खुशियों का उजाला
आओ हम सब हाथ बढ़ाएं,
मिलकर यह प्रण उठाएं।
दूर भगाएं इस महामारी को,
हलाहल किया जिसने जीवन को।
जब सब समझेंगे तब
ही पार पाएंगे कोविड-१९ से।
सन्नाटे में रहकर हमने
आगाज़ किया ज़िन्दगी का।
सन्नाटा था पसरा,
बाहर भी, भीतर भी।
कोलाहल है डूबा,
खोल में ही सिमटा।
जीवन अब ज़िन्दगी,
को है तरसे।
गुलज़ार हों,
सड़कें, चौराहें ओर मौहल्ले।
तब तक करें पालन हम ,
सोशल डिस्टेंसिंग का।
पहले जैसा,
हो जाएगा सब फिर से।
चमक चेहरे पर
फिर लौट आएगी।
त्योहारों की रंगीनियां,
दिल में खुशी बरपाएं।
ऐसा पल अब जल्द,
आने वाला है।
दोस्तों, आशा का तुम
दामन न छोड़ो।
यह अंधेरा काला,
अब छंटने ही वाला है।
खुशियों का उजाला,
छाने वाला है।