खुशबू प्यार की
खुशबू प्यार की
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पत्ते उड़े जब हवा चली।
सब मिले मगर वो ना मिली।।
वो ना मिली जिसकी थी
दिल को मिलने की चाहत।
जिसके आने से मिलती थी
मेरे दिल को राहत।।
कैसे बयान करूं दोस्तो,
कितना प्यारा है उसका रूप।
घनघोर छाए हों बादल और
अचानक निकली हो धूप।।
बस चुकी है वो मेरे दिल
सताती है मुझको ख्वाबों में
हंसी उसकी बिखेरे खुशबू
इन खिलते हुए गुलाबों में ।।
आँखे खोलूं या करूँ मैं बंद,
खोया रहता हूँ उसकी यादों में।
लगता है छपेंगे अपने भी किस्से
किन्ही इश्क की किताबों में ।।