खुश रहने लगी हूँ
खुश रहने लगी हूँ


खुश रहने लगी हूँ अब तो
बन्द आशियाने में
ज़िन्दगी के आपाधापी में
खो गयी थी कहीं
अब रोज़ मिलती हूँ
खुद से अकेले में
बन्द आशियाने में
व्यस्तता के दिन याद कर
फुर्सत के इन पलों का
खूब मज़ा लेती हूँ
हाँ ज़रूरी था
मिलना अपने आप से
इसलिए कुदरत ने
दिया ये संयोग है
वापस आयेगी फिर फिर
ज़िन्दगी में भागदौड़
तब चुरा लूँगी मैं
पल दो पल
खुद से मिलने के लिए