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Sajida Akram

Abstract

3.0  

Sajida Akram

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ख़ुश रह

ख़ुश रह

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16


तू हर पल ख़ुश रह यही प्रार्थना है

दोस्त तेरी मुस्कुराहटें बिखेर देती हैं, 


अपनी सतरंगी छटा चारों

दिशाओं बिखर जाती है।


पुखराजी प्रकाश चारों दिशाओं में, 

फैल जाता है।


खिल उठतें हैं प्रकृति में रंगबिरंगे फूल,

तेरी लबों की मुस्कुराहटों से हम भी, 

सराबोर हो जाते हैं।


तू हर पल ख़ुश रह मेरे दोस्त

यहीं प्रार्थना है।


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