खुद के शब्द
खुद के शब्द
दुनिया कितनी मतलबी है
जिसे हम माता कहते हैं
उसे ही दूषित करते हैं
क्या हमारे दिलो में
अब कोई भावना नहीं बची
क्या हम सचमुच इतने बदल गए हैं
परंतु यह एक हकीकत है
जिसे कोई नहीं झूठला सकता
आज हमारे वजह से नदी
कितनी प्रदूषक है
जो देखो किसी और को
ताने मारने में लगा है
इसके लिए कौन जिम्मेदार है
तो कहीं ना कहीं हम ही है जिम्मेदार
नदियों में अक्सर कचरा वगैरह फेंका जाता है
जिसकी वजह से पूरा पानी बर्बाद हो जाता है
जब हम हमारी सोच बदलेंगे
तब ही हम कह पाएंगे हम सही
मायने में कहां विकसित है
आज नहीं तो कल जरूर होगा।
