STORYMIRROR

SNEHA NALAWADE

Abstract

4  

SNEHA NALAWADE

Abstract

खुद के शब्द

खुद के शब्द

1 min
340

दुनिया कितनी मतलबी है

जिसे हम माता कहते हैं

उसे ही दूषित करते हैं

क्या हमारे दिलो में

अब कोई भावना नहीं बची


क्या हम सचमुच इतने बदल गए हैं

परंतु यह एक हकीकत है

जिसे कोई नहीं झूठला सकता

आज हमारे वजह से नदी

कितनी प्रदूषक है


जो देखो किसी और को

ताने मारने में लगा है

इसके लिए कौन जिम्मेदार है

तो कहीं ना कहीं हम ही है जिम्मेदार

नदियों में अक्सर कचरा वगैरह फेंका जाता है

जिसकी वजह से पूरा पानी बर्बाद हो जाता है

जब हम हमारी सोच बदलेंगे

तब ही हम कह पाएंगे हम सही

मायने में कहां विकसित है

आज नहीं तो कल जरूर होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract