STORYMIRROR

Salil Saroj

Tragedy

3  

Salil Saroj

Tragedy

खोखले रिश्ते

खोखले रिश्ते

1 min
505

जीना मुश्किल, मरना आसान हो गया

हर दूसरा घर कोई श्मशान हो गया।


माँ कहीं, बाप कहीं, बेटा कहीं, बेटी कहीं

एक ही घर में सब अनजान हो गया।


शहरों में नौकरियाँ खूब बिका करती हैं

इस अफवाह में गाँव मेरा वीरान हो गया।


मन्दिर की घंटियाँ वो मस्जिद की अजानें

दोगले सियासतदानों की दुकान हो गया।


प्यार, हमदर्दी, जज़्बात, अहसास, इंसानियत

"प्राइस टैग" लगा बाजारू सामान हो गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy