खोखले रिश्ते
खोखले रिश्ते


जीना मुश्किल, मरना आसान हो गया
हर दूसरा घर कोई श्मशान हो गया।
माँ कहीं, बाप कहीं, बेटा कहीं, बेटी कहीं
एक ही घर में सब अनजान हो गया।
शहरों में नौकरियाँ खूब बिका करती हैं
इस अफवाह में गाँव मेरा वीरान हो गया।
मन्दिर की घंटियाँ वो मस्जिद की अजानें
दोगले सियासतदानों की दुकान हो गया।
प्यार, हमदर्दी, जज़्बात, अहसास, इंसानियत
"प्राइस टैग" लगा बाजारू सामान हो गया।