STORYMIRROR

Mayank Kumar

Romance

3  

Mayank Kumar

Romance

खंडहर दिल में फिर एक हवेली

खंडहर दिल में फिर एक हवेली

1 min
427

खंडहर दिल में आज फिर न एक हवेली बना देना

मुमताज-सी याद में आज फिर न एक ताज बना देना।


मौत भी खड़ी है आज फिर अनगिनत सवालों के साथ

मरते मेरे जिस्म के लिए आज फिर न एक जाल बना देना।


एक रात लिपटकर मुझसे, तुमने एक वादा किया था

अपने इश्क़ में मुझे फ़िर न तुम एक गुनहगार बना देना।


तुम्हारी इश्क की रातों में तबायत-सा साथ था

मुझे शौहर बोल फिर से न अपना यार बना देना।


मोहब्बत का पहाड़ तुम्हारे चांद से चेहरे पर फिर दिखा

उस पर मेरी छाया दिखा फिर एक आसमां न बना देना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance