STORYMIRROR

Nitish Kumar

Tragedy

3  

Nitish Kumar

Tragedy

कहीं नहीं है

कहीं नहीं है

1 min
275

यूँ हर बात पे रूठ जाना तेरा,

हर दफा मुझे सताना तेरा,


कल को लेकर सोचना, 

गुस्से में हर एक बात पर टोकना, 


वो मिलने के वादे करना,

फिर वादे को भूल जाना तेरा,

सही नहीं है...


तू शामिल है जहान में मेरे, 

ज़मींन-ओ-आसमान में मेरे,


ग़म में है, ख़ुशी में है ज़िन्दगी में नहीं है,

तू है हर कहीं, मगर कहीं नहीं है...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy