कहीं नहीं है
कहीं नहीं है
यूँ हर बात पे रूठ जाना तेरा,
हर दफा मुझे सताना तेरा,
कल को लेकर सोचना,
गुस्से में हर एक बात पर टोकना,
वो मिलने के वादे करना,
फिर वादे को भूल जाना तेरा,
सही नहीं है...
तू शामिल है जहान में मेरे,
ज़मींन-ओ-आसमान में मेरे,
ग़म में है, ख़ुशी में है ज़िन्दगी में नहीं है,
तू है हर कहीं, मगर कहीं नहीं है...