कहीं किसी मोड़ पर
कहीं किसी मोड़ पर
क़मीनों की कमी नहीं है यहां बहुत से हैं हर मोड़ पर,
थोड़े ही नगीने मिल जाएं मुझे कहीं किसी मोड़ पर।
सारे ज़माने के मुंह से ताने भी सुने मैंने हर मोड़ पर,
ए–ज़िंदगी कभी तो सुन मुझे कहीं किसी मोड़ पर।
मुझ पे पहले से ही दुनिया की नज़र है हर मोड़ पर,
ज़रूरत नहीं अख़बार की मुझे कहीं किसी मोड़ पर।
दर्द और ये गम ही जीवन में साथ है मेरे हर मोड़ पर,
बस यूं ही मिल जाएं सुकूँ मुझे कहीं किसी मोड़ पर।
निभाता ही गया हूं फ़र्ज मैं अपना यहां हर मोड़ पर,
मंज़िल तो ज़रूर मिलेगी मुझे कहीं किसी मोड़ पर।
इम्तिहानों का ही यह दौर है हर मुकाम हर मोड़ पर,
बस मुकद्दर ही ख़िलाना है मुझे कहीं किसी मोड़ पर।
महक़ेगी फिज़ाओं में हितेंद्र की दास्तां हर मोड़ पर,
ए-ज़िंदगी हारा नहीं हूं मैं यहां कहीं किसी मोड़ पर।