Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Hitendra Brahmbhatt

Inspirational

4  

Hitendra Brahmbhatt

Inspirational

हार कर भी सिकंदर बन जाऊं

हार कर भी सिकंदर बन जाऊं

1 min
375


आज नदियां और तालाब कूद जाऊं तो अच्छा है

या तो आज समंदर में ही डूब जाऊं तो अच्छा है


अक्कड़ खड़ा हूं आज आईने के सामने रहकर मैं

कांच की तरह आज पूरा ही टूट जाऊं तो अच्छा है


घनघोर वृक्ष की तरह में आज खुद को मानता मैं

डालियों की तरह थोड़ा झुक जाऊं तो अच्छा है


पंछियों की तरह आज आज़ाद तो गुम रहा हूं मैं

बस वृक्षों की डालियों पर झूल जाऊं तो अच्छा है


बहुत ही गहरे घाव दिए है यहां पे ज़माने ने मुझे

बस आज सारे गमों को भूल जाऊं तो अच्छा है


भूल भुलैया की तरह रास्ते हो गए है ज़िंदगी में

बस अपनी मंज़िल तक पहुंच जाऊं तो अच्छा है


मेरे हाथों में लकीरें तो खुदा ने यहां खूब बनाई है

लकीरें मिटाकर खुद तकदीर बना लूं तो अच्छा है


हर मुकाम पर जीत की ख्वाहिशें तो सबको है

मैं हार कर भी सिकंदर बन जाऊं तो अच्छा है ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational