पापा
पापा
ज़िंदगी और जीने का हुनर आपने दिया है पापा
हमारे लिए आपने क्या–क्या नहीं किया है पापा
हर वक्त मुझे सिर्फ़ आपकी याद आती है पापा
आपकों याद करते आंखे नम हो जाती है पापा
ज़िंदगी के सफ़र में धूप का तजुर्बा आपने नापा
मेरी पुरी ज़िंदगी छांव छांव कर दी आपने पापा
ज़िंदगी तो आज कल बहुत मुझे नचाती है पापा
हर वक्त आपकी ही दुआयें मुझे बचाती है पापा
शांत हूं कब से मैं नहीं खो रहा हूं अपना आपा
रुलाती है हमें याद आपकी बनकर सपना पापा
चमकते चहेरे पे झुरिया कुछ बयां करती पापा
आपकी हिम्मत को दुनियां सलाम करती पापा
परिवारजनों को नदी की तरह मिला लिया पापा
सबको विशाल समुंदर बनकर समा लिया पापा
चला हूं आपके सिखाएं नक्श-ए-कदम पर पापा
सीख लिया "हितेंद्र" ने लड़ना हर क़दम पर पापा।