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Anuj Pareek

Drama

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Anuj Pareek

Drama

कहीं दर्द, पीड़ा से गुजरती होगी

कहीं दर्द, पीड़ा से गुजरती होगी

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दर्द,बैचेनी

पीड़ा से

छटपटाती

मन में अजीब सी

चिड़चिड़ाहट,


कुछ न खाने को

मन करना

ज़रा सी बात

पर रो देना।


शायद ऐसा ही

कुछ होता होगा ना

महीने के उन

चार दिनों में।


समझता हूँ

तेरे चेहरे की लकीरों से

कहीं दर्द,

पीड़ा से गुजरती होगी।


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