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ख़्वाब

ख़्वाब

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हक़ीकत में नहीं तो सपने में ही याद दिलाऊं कभी,

ये ख्व़ाब ही तो है कि उनके ख़्वाबों में आऊं कभी।

 

खुदा करे कह दें वो वही बात जो दिल कब से चाहता है,

काश! उनके लबों से निकले लब्ज़ों से मुस्कुराऊं कभी।

 

जो सबसे बड़ी ख़्वाहिश हो उनकी उसे पूरा कर सकूं मैं,

उनकी पलकों पर खुशी का आँसू बनकर झिलमिलाऊं कभी।

 

ज़िन्दगी, ज़िन्दगी बन जाएगी अगर उनका साथ मिल जाए,

हसरत है कि उनके नाम में अपना नाम जोड़ पाऊं कभी।

 

मेरी चाहत शिद्दत पर है, वो मुझसे भी आगे निकल जाएं,

यूं हो, वो मुझे इतना चाहें कि उन्हें उनसे कम चाहूं कभी।

 

अशीश के तस्ववुर में वो मासूम इस तरह समा जाएं की,

उनकी तारीफ़ में गज़लों की पूरी किताब लिख पाऊं कभी।


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