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काबिलियत

काबिलियत

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अदा नमाज़ में नहीं, नमाज़ी में होती है,

कला साज़ में नहीं, उसके साज़ी में होती है।

लहरों से बेपरवाह अपनी दिशा को चलना,

काबिलियत नाव​ में नहीं, माझी में होती है।


बहुत है यहां खुदा को चाहने वाले पर असल,

बन्दगी रज़ा में रहने वाले राज़ी में होती है।


जहां हक, यकीन हो वहीं समझाना मुनासिब​​,

बेअदबी सदा नाजायज़​ दख्ल​-अंदाज़ी में होती है।


लकीर के फ़कीर कुछ नया नहीं सोच पाते,

सीखने की तेज़ तलब एतराज़ी में होती है।


सुर​-ताल​ में आवाज़​ को तराशना आसान नहीं,

संगीत​ की समझ​ पक्के रियाज़ी में हहर काम को आखिरी

पलों पे ना छोसंजीदा गल्ती अक्सर जल्द​-बाज़ी में होती है।




#postiveindia


#postiveindia।

​​,


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