ख़ुद को ख़ुशहाल बनाओ
ख़ुद को ख़ुशहाल बनाओ


जो मिल ना सका उसके लिए आंसू ना बहाओ
जो हासिल हुआ उससे तुम प्यार करते जाओ
ज़हन में पाक अरमानों को ज़िन्दा करते जाओ
अपने सपनों को हकीक़त का जामा पहनाओ
दरारें आने लगे अगर तुम्हारे किसी भी रिश्ते में
प्यार, उल्फ़त और विश्वास से उन्हें भरते जाओ
किसी पर रौब जमाना बहादुरी नहीं कहलाती
बेख़ौफ़ होकर अपने ही गुरूर को तुम गलाओ
तुम्हारी ज़िन्दगी से ग़म मिटाने कोई ना आएगा
सबको सहारा देकर खुद को खुशहाल बनाओ।