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Sachhidanand Maurya

Abstract

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Sachhidanand Maurya

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कहेगी कहानी किताब मेरी

कहेगी कहानी किताब मेरी

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(१)

फैला देगी सारे जग में

तुम देखना आब मेरी,

पूरी कर देगी वर्षों का

देखा जो ख्वाब मेरी,

एक दिन जरूर कहेगी

सारी कहानी किताब मेरी।


(२)

कहेगी इतनी चाहत थी,

तुमने मुझे उधार पढ़ा,

हुए रूबरू जब तुमने

सारा संसार पढ़ा,

तेरा ज्ञान हुआ मुक्कमल,

जब तूने प्यार पढ़ा।


(३)

कहेगी सीखे तुम

समय बचाना,

खेल खेल में

पढ़ना और पढ़ाना,

जग तुमसे होकर

गुजरेगा,

गुनगुनाकर

तुम्हारा तराना।


(४)

दर्ज कहानी हो जाती है,

गुरु वाणी हो जाती है,

जो लिख दो तुम यादों को,

अमर निशानी हो जाती है।


(५)

अनुभव कुबेर लिए हुए हूँ

मैं ज्ञान ढेर लिए हुए हूँ,

यश से मेरा नाता पुरजोर,

नित नए सवेर लिए हुए हूँ।



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