खौफ(मुक्तक)
खौफ(मुक्तक)


जमीं पर हैं कदम मेरे, नहीं है खौफ गिरने का।
यहीं पर ही सही हूॅं मैं, नहीं है शौक उड़ने का।
गिरा हूं जब फिसल कर में उठा हूं तब सजग हो कर।
उमर को जी लिया मैंने, नहीं है दर्द मरने का।
जमीं पर हैं कदम मेरे, नहीं है खौफ गिरने का।
यहीं पर ही सही हूॅं मैं, नहीं है शौक उड़ने का।
गिरा हूं जब फिसल कर में उठा हूं तब सजग हो कर।
उमर को जी लिया मैंने, नहीं है दर्द मरने का।