नन्हे सिपाही की आत्मा की पुकार
नन्हे सिपाही की आत्मा की पुकार
मैं भी था आजादी का मतवाला
छोड़ किताबें जुड़ गया जंग में।
बच्चा मैं छोटा सा था ।
मगर दिल के जज्बा बड़े-बड़े।
आजादी की सपने देखे ।
पूरा करने की थी तमन्ना ।
जी जान से जुट गया पूरा करने।
अब सारे गोरे थे दुश्मन।
भले वो थे बापू के दोस्त ।
देख उनको मेरा खून खोलता ।
मन बहुत मचलता बहुत मचलता।
कुछ तो ऐसा करना होगा।
जिससे इन से मिले छुटकारा।
एक दिन जब ऐसा आया
नेता जी ने भाषण सुनाया
मन हुआ बावरा।
आजाद हिंद फ़ौज में जाने को।
मगर मैं था छोटा बच्चा ना ।
पिता तो थे अंग्रेजों के पिट्ठू।
वो क्या समझते आजादी क्या है।
पेटी उठाई घर से भागा।
क्रातिकारियों में मैं शामिल हो गया।
बड़े-बड़े क्रांतिकारियों में मैं था।
सबसे छोटा बच्चा।
मगर हौसले थे बड़े, देख वे सब बहुत हर्षित थे।
सौंपा एक बड़ा मिशन,
मारना था एक अंग्रेज अफसर को।
जा सभा में शामिल होकर उड़ा दिया उसको मैंने।
पर पकड़ा गया, उड़ा दिया तोप संग
सिसकते रह गये सब
मगर अंग्रेजों को दया ना आई।
शहीद हो गया मैं भी तब।
जब आजादी मिली तो आत्मा मेरी हो गई खुश।
मगर आज मेरी आत्मा सिसक रही है।
पूछ रही है आजाद भारत से यह सवाल ।
क्या सही में तुम इस आजादी के लायक थे।
देशद्रोहियों देशद्रोह भ्रष्टाचार कुरीतियां,
जातिवाद, सत्तावाद हिंसा क्या-क्या बदिया नहीं है यहां पर।
देख मेरी आत्मा सिसक रही है ।
मैं तो छोटा बच्चा था। सब समझ कर आजादी के लड़ाई में कूदा ।
मगर अफसोस तुम इस आजादी को संभाल ना पाए।
लोगों के हक मार के अपने घर को भरने में ।
लोगों को दुख देकर के अपने सुख को देखने में।
तुमने यह जिंदगी बिताई ।
अरे अब तो संभल जाओ।
इस आजादी को संभालो।
नहीं तो कभी चीन कभी पाकिस्तान।
कभी कोई देश कभी कोई देश। नए-नए दुश्मन पैदा होंगे ।
और देश के अंदर के दुश्मनों की तो बात ही निराली।
अगर चाहते हो सच्ची आजादी।
तो इन बदियों से आजाद करो देश को।
तब मेरी आत्मा भी होगी आजाद।
देश को मिलेगी सही आजादी ।
राम कृष्ण का देश है मेरा।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा।
वंदे मातरम् नारा हमारा।
यह है आजाद भारत हमारा।