कहानी पन्नों की
कहानी पन्नों की
अन्दर एक कौतूहल
और बाहर है सन्नाटा ....
ज़ज्बात उमड़ रहे...
शब्दों में..
बिखरे रंगों में...
बिखरी बिखरी सी उमंग...
और चादर सुनहरी...
ध्वनि एक अन्दर...
साँसों की ....
और ख़ामोशी लफ़्ज़ों की।
मैं और मेरे ज़ज्बात...
कहानी पन्नों की ।।