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Alka Bhatnagar

Classics Inspirational Thriller

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Alka Bhatnagar

Classics Inspirational Thriller

कहाँ कमी रह जाती है

कहाँ कमी रह जाती है

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कहीं समझने में कुछ कमी है

कहीं समझाने में कमी है

बच्चों को अपना बनाने में ही

शायद कोई कमी है

प्यार से समझाते हैं 


जरूरत पडे तो डांट फटकार भी लगाते हैं 

कभी भाई कभी बहन बन जाते हैं 

जरूरत हो तो हम दोस्त भी बन जाते हैं 

ना जाने फिर भी कहाँ कमी है

बच्चों को समझने में 

बच्चों को समझाने में


कहीं तो कमी रहती है

ना जाने कमी कहाँ रह जाती है

उदाहरण देकर समझाते हैं 

जिद्द के साथ जिद्दी भी बन जाते हैं 

जरूरत हो तो बच्चे भी बन जाते हैं 


फिर भी 

कहीं तो कमी रह जाती है

बच्चों को समझने में 

बच्चों को समझाने में

कहीं तो कमी रहती है

ना जाने कमी कहाँ रह जाती है


इच्छाएं दबाकर भी देख लिया

ख़ाहिश जमाकर भी देख लिया

मन बहलाकर भी देख लिया

दिल फुसलाकर भी देख लिया

हर रिश्ता एक रूप में निभाकर भी देख लिया

कहाँ कमी रह जाती है


यह सोचकर भी देख लिया

बच्चों को समझने में 

बच्चों को समझाने में

कहीं तो कमी रहती है

ना जाने कमी कहाँ रह जाती है।


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