कहाँ है शासन
कहाँ है शासन
नहीं है शासन,
नहीं है प्रशासन,
नहीं है आश्वासन,
नहीं है आत्ममंथन अनुशासन ।१।
अस्थिर अर्थव्यवस्था ले चुकी है शीर्षासन,
सरकारी प्रजातंत्र करे केवल मिथ्या प्रहसन,
पता नहीं क्यों अनैतिक राजनेता लिए हैं सिंहासन ,
आत्मचिंतन के अभाव में प्रचारमंत्री त्याग करें पद पद्मासन ।२।
समाज में दिनोंदिन साहस पा रहे हैं दुर्योधन दुःशासन,
भ्रष्टाचारी दुराचारी शकुनियों को देना होगा निष्कासन,
नीतिवादी अर्थनीतिज्ञ विदुर को मिले अपमान निर्वासन,
लोकतान्त्रिक सरकार ऐसे चले तो कैसे रहेगा सुशासन ।३।
