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राजेश "बनारसी बाबू"

Tragedy Action Others

4  

राजेश "बनारसी बाबू"

Tragedy Action Others

खामोशियां

खामोशियां

2 mins
264


*******************************************आज बस्ती में कैसी खामोशी नजर आई है

गरीब बच्चे के चेहरे पर कैसी रुसवाई नजर आई है


आज चिलचिलाती धूप में हमें एक छोटा बालक रोता हुआ दिखा है

रहम कर ए मालिक तूने इस मासूम पे कैसा कहर किया है


पूछने पे ये बेटा तेरा कैसा हश्र हुआ है? 

कुछ नहीं भैया जी कल ही सुबह पापा का साया सर से उठा है।


ये कैसा चारों ओर पसरा सन्नाटा दिखाई दिया है

ऐ बेटे तेरे चेहरे पे ये कैसा उदासी दिखाई दिया है


कुछ नहीं बाबू जी तीन रोज से भूखे सोने से

आज पेट में दर्द दिखाई दिया है


इसलिए गरीबी के इस आलम में

मेरे जैसा बच्चा चाय की केतली पकड़े दिखाई दिया है



कल बापू को मदिरा के तलब से मरना पड़ा था

आज हमें गरीबी के कारण चाय की केतली पकड़ना पड़ा है


खामोशी यूं ही मेरे हसी चेहरे पे ना आई है

मेरी अम्मी चंद रोज से खाना नहीं खाई है


साहब आप को क्या लगता हमें चौराहे पे चाय बेचना अच्छा लगता है

जब सब भूखे सोए और मम्मी रात को पानी पी के सोए

तो हमें केतली और चाय पकड़ना पड़ता हैं


दर दर भटक रहे हमें आज कोई काम न मिला है

थक हार के बड़ी मुश्किल से हमें फिर ये काम मिला है


लोगों का तिरस्कार सह के मन में हीन भावना आया था

हमने भी दुखी होते हुए जहर खाने का मन बनाया था

छोटे बाबू और मम्मी का चेहरा देख मैंने फिर अपने मन को समझाया था



भैया जी हमारे लिए ना यह दशहरा दीवाली है 

मेरी मां और बाबू बस दो पहर खाना खा सके

तो रोज ही मेरे लिए ईद और दीवाली है


ऐसे ना मुंह बिचकाओ साहब

ऐसे ना धक्का दे के भगाओ साहब


मेरी गरीबी की यही कहानी है

मैले कमीज बता रहे अपनी जुबानी है


चौराहे चौराहे भटकता हूँ

लोगों की खरी खोटी मैं सुनता हूँ

पुस्तक की जगह आज केतली जो पकड़ता हूँ



कल घर में अम्मा के चेहरे पे मुकुराहट दिखा

 दी है

पूरे छ: दिन बाद मेरे घर में चूल्हे से धुआं उठता  फिर से दिखाई दी है


विद्यालय जाना तो मेरे लिए सपना वो

 बस्ता किताब बचपन कहा मेरा अपना है

बस आज दो रोटी खाने को मिल जाए बस इसी धुन में हमें रहना है।।


किस्मत ना करे मेरा जो हाल है वो किसी और का हो।


मेरी खामोशी के अल्फाज को हर कोई समझ नहीं सकता 

मेरी माँ के सिसकने का एहसास हर कोई नहीं समझ सकता


भैया जी एक चाय पी लो तो मेरा बाबू भूखे ना रह पाएगा 

तुम्हारे एक चाय पीने से मेरे घर का आज चूल्हा जल जायेगा 


आपके इस उपकार से आज मेरे घर की खामोशी मीट जायेगा

आपके एक कप चाय पीने से मेरा बाबू आज फिर मुकुराएगा


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राजेश बनारसी बाबू

उत्तर प्रदेश वाराणसी

8081488312

स्वरचित एवं अप्रकाशित रचना



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