खामोशी की आवाज...।
खामोशी की आवाज...।
मैं खामोश नहीं...
मुझे वक्त ने ऐसा बना दिया है,
जब बार बार कोशिश कर हारा हूं,
तब एकांत में थोड़ी देर बैठता हूं,
सुनता हूं वो आवाज़ जो चुपके से कानों में आती है,
खामोशी की आवाज....
आंखों में नमी अजीब सी बेचैनी मुझे घेरे रहती है,
कुछ सरसराहट तब मुझे सुनाई देती है,
मानो वो भी मेरी दशा देख हंसती है,
मेरे कानों में गूंजती वो आवाज़,
मुझसे हजारों सवाल करती है,
क्यों बैठा हूं मायूस मैं.. यह देख मानो तरस खाती है,
सुनो उस आवाज को तुम शांति में कभी,
एक अलग सुकून मिलेगा,
दिल जो अशांत था वो शांत रहेगा,
क्योंकि वो आवाज आपके भीतर की है,
जो कही शोरगुल वातावरण में दब सी जाती है।