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Dr. Anu Somayajula

Abstract

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Dr. Anu Somayajula

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कह रहा है कोरोना

कह रहा है कोरोना

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डरा हुआ है आदमी, डरा रहा है कोरोना

ठहरा हुआ है आदमी, घूमता है कोरोना


सांस पर बंदिशें हैं, हवा में है कोरोना

आंख में हैं सुर्ख़ियां, रुला रहा है कोरोना


दूरियां ही बढ़ाओ, या गले मुझे लगाओ

फैसले का हक़ तुम्हें कह रहा है कोरोना


तुम ज़रा ग़ाफ़िल हुए, वार झट मैं करूं

ताक में रहता सदा, कह रहा है कोरोना


वार कोई तब करेंगे देख पाएं गर उसे

सांसों की डोर थामे डोलता है कोरोना


तोड़ उसका ढूंढने को पालते हम उसे ही

बच निकलने के रास्ते ढूंढता है कोरोना


मेहमां – नवाज़ी का शौक भारी पड़ गया

अब न जाऊं मैं कहीं, बोलता है कोरोना।


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