कबीरा तेरे संसार में
कबीरा तेरे संसार में
कबीरा तेरे संसार में भांति-भांति के लोग
बाहर से कुछ और दिखें भीतर से कुछ और।
स्वार्थवश तारीफों के पुल बांधते जो लोग
स्वार्थ सिद्ध होते ही दूर भागते वही लोग।
अक्सर मुंह पर तारीफें करते हैं जो लोग
पीठ-पीछे वार भी करते हैं वही लोग।
मनुज-मनुज में भेद नहीं कहते हैं जो लोग
ऊंच-नीच में मनुज को बांटते हैं वही लोग।
बेटा-बेटी एक समान कहते हैं जो लोग
कोख में बच्चियों को मारते हैं वही लोग।
मां समान गंगा-यमुना को पूजते हैं जो लोग
विष रूपी कूड़ा-कचरा घोलते हैं वही लोग।
जीवित रहने को स्वच्छ हवा चाहते जो लोग
स्वार्थवश हरे वनों को काटते हैं वही लोग।
