कभी फुर्सत हो तो !!
कभी फुर्सत हो तो !!
कभी फुर्सत हो तो मुझसे मिलने आ
एक कप चाय की प्याली के बहाने से आ
तुझे बयान करूँ इश्क मेरा
इजहार करूँ मोहब्बत मेरी
इनकार करूँ तेरी रुसवाई से
ये भी बताऊं कि कितने रातों से सोई नहीं
कितने शामें मेरी इंतजार में गुजरी
कितनी रातें खामोशी में निकली
कितनी उलझी तुझे सुलझाने में
कितनी मूर्ख बनी तुझे मेरा इश्क समझाने में
क्या क्या बयान करूं में तुझे और
हाल बेहाल हो गया तुझे पाने में
तुझसे ना किए हुआ वादे भी निभाएं है मैंने
तुझसे इश्क की सारी वफाएं भी निभाएं हैं मैंने
तू मेरे इश्क से अनजान हैं अब तक
तुझे पाने को कितने लोगों को खोएं हैं मैंने !!

