जिंदगी है जनाब
जिंदगी है जनाब
मौत से पहले जीने का मकसद ढूंढ़ ही लेगी ।
गिरकर भी उठने का तरीका ढूंढ ही लेगी ।
रोते रोते भी हंसने का बाहाना ढूंढ़ ही लेगी ।
हारकर भी जितने का इरादा ढूंढ ही लेगी ।
रुककर भी चलने का रास्ता ढूंढ ही लेगी ।
झुककर भी शान सर उठाके जीना ढूंढ़ ही लेगी ।
ख़ामोश रहकर भी सही जवाब देना ढूंढ ही लेगी ।
जमीन में रहकर भी आसमान में उड़ान भरने का सपना ढूंढ ही लेगी ।
हर मोड़ पे बिखरकर खुद को समेटना का जरिया ढूंढ ही लेगी ।
बदलते युग में खुद की सोच परिवर्तन का कारण ढूंढ ही लेगी ।
नफ़रत के कांटो में भी प्यार का गुलाब खिलाते रहने की वजह ढूंढ़ ही लेगी ।
नफरत के दौर में भी मोहब्बत करने का बहाना ढूंढ़ ही लेगी ।
कलयूग में भी ये श्री राम ढूंढ ही लेगी ।
स्वार्थ में पनपती दुनिया में भी इंसानियत का जरिया ढूंढ ही लेगी ।
गुजरते वक्त को छोड़ आने वाले कल को बेहतर बनाने का तरीका ढूंढ ही लेगी ।
लाख जुल्म ढाओ जिंदगी पर, फिर भी आगे बढ़ने का फसाना ढूंढ ही लेगी
क्योंकि जिंदगी हैं जनाब !!
