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sonu santosh bhatt

Abstract

4.5  

sonu santosh bhatt

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कौन हूँ मैं

कौन हूँ मैं

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मैं सवालों का जरिया हूँ,

खुद सवाल नही हूँ।।

मैं बहते पानी का दरिया हूँ,

पानी का ताल नही हूँ।।

मैं खुद की परछाई हूँ,

परछाईयो का बुरा हाल नही हूँ।।

कभी खुद से सवाल किया

कभी सवालों से सवाल मिल गया।

कभी निराशा मिले सवालों से

कभी सवाल से चेहरा खिल गया।

कभी चेहरे में गम छाया

कभी चेहरा ही रौनक लाया।

मैं जरूरत से ज्यादा बारीक हूँ,

मगर बाल नही हूँ।।

मैं खून की तरह घुला हूँ,

मगर लाल नही हूँ।।

मैं खोए जमाने का राही हूँ,

मगर खोया नही हूँ।।

मैं दुख तकलीफों के संग रहा

मगर रोया नही हूँ।।

मेरा असली चेहरा दिखता नही,

मगर हवा नही हूँ।।

मैं किसी की तकलीफ नही देख सकता,

मगर दवा नही हूँ।

बहता रहता हूँ ख्यालो में,

मगर पानी नही हूँ।।

अधूरे सपने रह गए दिल मे,

मगर अधूरी कहानी नही हूँ।।

हर पल गुनगुनाता रहता हूँ,

मगर गीत गाता नही हूँ।।

लोगो की खुशी में खुश होता हूँ,

मगर लोगो को खुश कर पाता नही हूँ।।

सालों से अकेला रहा,

मगर मजबूर नही हूँ,

जमाना आगे बढ़ गया भले,

मगर मैं भी जमाने से दूर नही हूँ।।

 




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