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Tarun Singh

Drama Tragedy

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Tarun Singh

Drama Tragedy

कौम की राजनीति

कौम की राजनीति

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बर्बाद हो जाएगा मुल्क, मजहब की सियासत में,

कुछ भी नहीं है रखा, इस नफरत और अदावत में,


न हिन्दू है, न मुसलमान है, मरने वाला एक इंसान है,

हर तरफ दहसतगर्द हैं, भाई-चारे की खिलाफत में,


कुर्सी के खातिर हो रहा, आज सौदा ईमान का,

न जाने क्या होगा वतन का, सत्ता की तिजारत में,


मुट्ठी भर लोगों ने लूटा है, चैन-ओ-अमन वतन का,

जलता और वीराना शहर, ये दे जाएंगे विरासत में,


कौन सच्चा है, कौन झूठा है, इसकी चर्चा रहने दो,

खुल जाएगा हर राज एक दिन, खुदा की अदालत में।


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