कैंडल-मार्च
कैंडल-मार्च
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देख रहा था दिन एक टी.वी. पर समाचार,
सयानी होती बिटिया भी समझ रही थी खबरों का सार,
एकाएक बलात्कार से जुड़ा कैंडल-मार्च का विवरण आया,
चाहकर भी टी.वी. का चैनल न बदल पाया,
देखकर मुझसे उसने प्रश्न दाग डाला, क्या,
कैंडल-मार्च से सिलसिला थम जाएगा,
वहशी-दरिंदों का पत्थर-दिल क्या मोम बन जाएगा,
पापा, कैंडल-मार्च नहीं ऐसे लोगों का जब सैंडिल-मार्च होगा,
तभी बलात्कार जैसी घटनाओं पर अंकुश आएगा,
सुनकर बात बिटिया की मुझे फक्र हो आया,
उस दिन बिटिया में मुझे चंडी का रूप नजर आया।